बहुत ही शर्म की बात है अगर शिक्षा देने वाले ही भेदभाव
करने लगे तो समाज किस प्रकार विकसित होगा।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरपुर नगर में महिला शिक्षक ने सहपाठियों द्वारा मुस्लिम छात्र को पीटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहां की अगर छात्र को धर्म के आधार पर पीठा जा सकता है तो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा किस प्रकार प्राप्त होगी। पीड़ित के पिता द्वारा धर्म के आधार पर पीटने के आरोप के बावजूद एफआई आर से यह तथ्य हटाने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने जांच की निगरानी वरिष्ठ आईपीएस द्वारा करवाने का आदेश दिया है। साथ ही रिपोर्ट आईपीएस अफसर द्वारा कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने कहा गया है। यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है। क्या यही है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा? अगर आरोप सही है तो राज्य सरकार की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए था। पर आश्चर्य है कि एफ आई आर मैं देरी की गई यूपी सरकार की ओर से पेश कि नटराज ने कहा इस मामले में सांप्रदायिक पहलू को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि बच्चे को धर्म के कारण पीटने का आदेश देने पर चार्ट सीट कब दाखिल होगी? आप इसकी सुनवाई थी सितंबर को होगी।
शिक्षिका द्वारा छात्र को पीटने पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा राज्य सरकार से 30 सितंबर तक रिपोर्ट।
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