रांची : झारखंड के राजनीति में बढ़ते बगावती शोर और बढ़ते विरोध के बीच राज्य की राजनीतिक अबोहवा बदलने वाली तो नहीं, या कहीं कुछ और तो नहीं! इसको लेकर खासी चर्चाएं हो रही है। जिस तरह से राज्य में उत्पन्न राजनीतिक संकट के बीच बढ़ती गतिरोध और विरोध और मान मनोवल काम नहीं आ रही है, और झारखंड से लेकर दिल्ली तक की राजनीतिक दौड़ लगी हुई है। जिसके कई कयास लगाए जाने लगे हैं। जिससे चंपई सोरेन सरकार की मुश्किलें बढ़ गयी है। कांग्रेस के विधायक जहां आंखें दिखा रहे हैं, तो वहीं झामुमो में भी अंदरखाने बगावती सुर के शोर सुनाई पड़ने लगे है। चंपई सरकार में कांग्रेस के 4 विधायक मंत्री हैं, जिनकी वजह से कांग्रेस के 12 विधायक नाराज चल रहे हैं। कांग्रेस में सिर्फ वही खुश हैं, जिन्हें मंत्री पद मिला हुआ है। आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख और प्रदीप यादव ही अभी संतुष्ट दिख रहे हैं, बाकी के 12 विधायकों की नाराजगी साफ साफ नजर आ रही है। कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों की नाराजगी ने पार्टी के साथ ही सरकार के लिए भी मुश्किलें पैदा कर दी है। 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 है। इनमें सोरेन सरकार के पास 48 विधायक हैं। इनमें 17 विधायक कांग्रेस के हैं। कांग्रेस के 12 विधायक नाराज है। ऐसे में अगर ये सरकार से समर्थन वापस लेते हैं, तो सरकार गिर जाएगी। 2 तिहाई से ज्यादा संख्या होने की वजह से इन्हें दल-बदल कानून से भी परेशानी नहीं होगी।
नाराज विधायकों को हालांकि मनाने की कोशिश भी जारी है।परन्तु नतीजा कुछ नहीं निकला। शपथ के बाद बसंत सोरेन ने भी इन विधायकों से मुलाकात कर मनाने की कोशिश की ,लेकिन विधायकों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। इधर नाराज विधायकों ने दो दिन में तीन बार बैठक की। नाराज विधायकों में राजेश कच्छप, जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह, डॉ. इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला, सोना राम सिंकू, भूषण बारा, नमन विक्सल कोंगड़ी, रामचंद्र सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की, अंबा प्रसाद, दीपिका सिंह पांडेय, पूर्णिमा नीरज सिंह शामिल हैं। इनमें से लगभग 10 विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। देखना अब यह है कि झारखंड की राजनीति किस करवट लेती है। यह तो आने वाला वक्त ही बतााया कि झारखंड की राजनीतिक अबोहवा क्या रंग दिखाती है।
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