संकट में हेमंत सोरेन सरकार ? जमीन,खतियान,ईडी और अपनो में उलझी झारखंड सरकार , क्या बदलने वाली है, झारखंड की राजनीतिक आबोहवा?

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रांची : झारखंड कि राजनीति इनदिनों पूरी तरह से जमीन, खतियान, के इर्द-गिर्द घूम रही है। इन मुद्दे को लेकर सूबे का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। वही अपने भी तल्ख तेवर के साथ कटाक्ष करते हुए अपने ही सरकार को घेर रहे हैं। राज्य की हेमंत सरकार पूरी तरह से खदान खतियान और जमीन के भंवर में उलझी दिख रही है। तीनो ही मामले सरकार के लिए नासूर बना हुआ है। वहीं विपक्ष के साथ, अपने भी हमलावर होते जा रहे हैं। खतियान के मामले पर विपक्ष से ज्यादा अपनों के लगातार प्रहार से सरकार आहत है तो खदान और जमीन के मामले में सरकार संवैधानिक संस्थाओं के द्वारा चौतरफा घिरती जा रही है। स्थानीय नीति नियोजन नीति और 1932 के

खतियान के मामले पर विधायक लोबिन हेम्ब्रेम अपनी ही सरकार के खिलाफ हैं।लोबिन हेम्ब्रेम का खतियान को लेकर राज्यव्यापी आन्दोलन जारी है।बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जवाब के बाद भी लोबिन शांत नहीं हुए। हालाँकि झामुमो ने अपने सबसे वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी को इस मुद्दे पर काट के लिए आगे किया था, परंतु कोई असर लोबिन पर नहीं पड़ा ।झामुमो की तरफ से बार-बार यह जरुर कहा जा रहा है कि लोबिन के आन्दोलन को पार्टी का समर्थन नहीं है लेकिन अबतक पार्टी की तरफ से लोबिन पर कोई कारवाई भी नहीं हुई है। वहीं विधायक सीता सोरेन जल -जंगल -जमीन को लेकर अपनी ही सरकार को घेरती आ रही हैं। झारखंड की राजनीति और सरकार जमीन ,खतियान और ईडी की कार्रवाई के इर्द-गिर्द घूम रही है। चर्चाओं के अनुसार कहा जा रहा है कि झारखंड की राजनीतिक आबोहवा कभी भी बदल सकती है।

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