India : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति कमेटी (एमपीसी) की बैठक 9 अप्रैल को समाप्त हुई, जो 7 फरवरी से चल रही थी। इस बैठक में आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 0.25 फीसदी की ब्याज दर में कटौती की घोषणा की, जिससे रेपो रेट 6.25 फीसदी से घटकर 6 फीसदी हो गया। इस फैसले का असर होम और कार लोन लेने वालों पर पड़ेगा, क्योंकि उनके लोन की मासिक किस्तों में कमी आएगी।
फरवरी में भी आरबीआई ने 0.25 फीसदी की कटौती की थी, जो मई 2020 के बाद पहली बार थी। इसके अलावा, आरबीआई ने स्टैंडिंग फैसिलिटी डिपॉजिट (एसटीएप) को 5.75 फीसदी और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमसीएफ) व बैंक रेट को 6.25 फीसदी निर्धारित किया। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया, जबकि महंगाई के अनुमान में भी संशोधन किया गया है। अब महंगाई दर 4 फीसदी रहने का अनुमान है। रेपो रेट में कटौती से उधारी की लागत में कमी आती है, जिससे आम लोगों पर ईएमआई का दबाव कम होता है। इसका असर बैंकों की ऋण दरों पर भी पड़ता है।