पटना : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी के भागलपुर दौरे और वहां की गई घोषणाओं से यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार NDA और INDIA गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण रणभूमि बनने जा रहा है। विपक्षी गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर असहमति देखने को मिल सकती है, जबकि NDA सरकार की योजनाओं और विकास कार्यों के सहारे बढ़त बनाने की कोशिश कर रहा है। केंद्र सरकार ने हाल के बजट में बिहार के बुनियादी ढांचे के लिए कई घोषणाएं की हैं, जिनमें राजमार्ग, हवाई अड्डे और बाढ़ नियंत्रण परियोजनाएं शामिल हैं। हालांकि, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इनकार किया गया है, जिससे राजनीतिक विवाद गहराया है। BJP का प्रभाव JDU की कीमत पर लगातार बढ़ा है। 2020 में BJP गठबंधन में वरिष्ठ सहयोगी के रूप में उभरी, जबकि JDU कमजोर पड़ी।
नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा। BJP अब अधिक सीटों पर दावा कर सकती है, जिससे JDU के लिए स्थिति जटिल हो सकती है। खासकर, विशेष राज्य के दर्जे की मांग और केंद्र की अनदेखी ने नीतीश की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बिहार की जनता के लिए यह चुनाव विकास और कल्याणकारी योजनाओं के वादों के बीच फैसला करने का अवसर होगा। जातीय समीकरण और महिला मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।