दिल्ली (प्रतीक सिंह) : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में गरीबों को मुफ्त इलाज उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को इसे अपने नियंत्रण में लेने का आदेश दे सकता है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पट्टा समझौते का उल्लंघन गंभीरता से लिया, जिसके तहत अस्पताल को गरीब मरीजों के लिए मुफ्त उपचार देने का वचन दिया गया था।
अस्पताल को पट्टे पर दी गई ज़मीन पर एक रुपये के प्रतीकात्मक शुल्क पर संचालित किया जा रहा था, और इसे बिना किसी लाभ-हानि के आधार पर चलाने की शर्त थी, लेकिन अब यह एक व्यावसायिक उपक्रम बन चुका है। न्यायालय ने अस्पताल को चेतावनी दी कि यदि गरीबों को उपचार नहीं दिया गया तो यह मामले को गंभीरता से लेगा और एम्स को इसे सौंप सकता है। कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि क्या पट्टा समझौते का नवीनीकरण किया गया है और इस बारे में कानूनी प्रक्रिया क्या की गई है। कोर्ट ने अस्पताल की बिस्तरों की संख्या और ओपीडी रिकॉर्ड भी मांगे हैं।