हमारा स्वार्थ हमारे अंदर मोह को जन्म देता है, और धीरे -धीरे जीवन को जकड़ लेता है,केशवाचार्य जी महाराज।

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हमारा स्वार्थ हमारे अंदर मोह को जन्म देता हैं और धीरे -धीरे जीवन को जकड़ लेता हैं।

यूपी वाराणसी : घरवासडीह मठ (रोहतास, बिहार) के उतराधिकारी स्वामी केशवाचार्य जी महाराज ने काशी वाराणसी में प्रवचन करते हुए कहा कि -हमारा स्वार्थ हमारे अंदर मोह को जन्म देता हैं, और धीरे -धीरे जीवन को जकड़ लेता हैं। मोह और प्रेम में एक अंतर हैं बस इसी अंतर को हम समझ नही पाते और अपने मोह को प्रेम समझकर उसे दुख का कारण बना लेते हैं। प्रेम दुख नही देता लेकिन मोह पहले हमें भ्रमित कर के केवल दुख ही देता है।

मोह हमसे वो सब करवाता है, जिसे हम प्रेम में और होश में कभी नही करना चाहते । लेकिन मोह के कारण हम वो गलतियां कर बैठते हैं। जिसको करने से हमारी आत्मा कमजोर होती है। स्वामी जी ने कहा कि- हमारे अंदर दोषों का कारण ही मोह है । मोह हमारे व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित करता है, क्योंकि मोह हमारी आंखों पर स्वार्थ की पट्टी बांधकर हमको गुमराह कर देता है।

एक और बात जो व्यक्ति अपनी मृत्यु को स्वीकार करता है, वही जीवन का पूर्ण आनंद ले सकता है । मृत्यू हमें जीवन से जोड़ती है ,प्रेम की संभावनाएं बढ़ाती है।लेकिन मोह हमें जन्म और मृत्यू दोनो से ही अलग कर देता है । मोह में पड़ा हुआ इंसान स्वयं तो दुखों के जंजाल में जकड़ ही जाता है, और दुनियाँ को भी जकड़ना चाहता हैं। केशवाचार्य जी महाराज ने वाराणसी के लाखों शिष्यै, भक्तों के उमडी भीड़ में प्रवचन देते हुए कहा कि —

जन्म से मृत्यू तक के इस सफर को अगर आप एक यात्री बनकर देखेंगे तो आपको जीवन अर्थपूर्ण लगेगा। सफर में बोझ जितना कम हो उतना ही सफर का आनंद है । आप किसी भी नजारे को देख सकते है, लेकिन उस नजारे को अपनी आगे की यात्रा में नही जोड़ सकते, क्यों कि हर मोड़ पर आपको कुछ नया ही मिलेगा और नए को अगर पाना है, तो पुराने को छोड़ना ही होंगा।

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