जमशेदपुर: जमशेदपुर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज द्वारा ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के अवसर पर एक आयोजन किया गया। दीप प्रज्जवलन और संताली एवं हो विभाग के विद्यार्थियों द्वारा स्वागत गान के बाद आयोजन के मुख्य अतिथि 37, झारखंड बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विनय आहूजा ने ‘विश्व आदिवासी दिवस’ के महत्त्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासियों और उनकी परंपरा को दूसरे प्रांत के लोगों को भी जानना चाहिए। उनकी परंपरा और अधिकारों का संरक्षण आवश्यक है। संस्कृत तथा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, कोल्हान विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. डॉ. सुनील मुर्मू ने कहा कि यदि पृथ्वी, पर्यावरण, प्रकृति और जीवन को बचाना है तो आदिवासी संस्कृति का संरक्षण करना होगा। उन्होंने भौगोलिक एकाकीपन, विशिष्ट संस्कृति, पिछड़ापन, संकोची स्वभाव और आदिम जनजाति के लक्षणों को आदिवासियों की पहचान बताया और कहा कि मरांग गोमके जयपाल मुंडा ने इन सब चीजों के साथ आदिवासियत को भी जरूरी बताया था। उन्होंने कहा कि आदिवासी संस्कृति वैज्ञानिक भी है। टाटा स्टील फाउंडेशन के जनजातीय मामलों के प्रबंधक शिवशंकर काडयोन ने कहा कि आदिवासी जल, जंगल, जमीन से जुड़े हुए हैं। उनकी सामूहिकता अनुकरणीय है। प्रशासनिक – शैक्षणिक तमाम क्षेत्रों में आदिवासियत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि टाटा स्टील फाउंडेशन झारखंड की 12 आदिवासी भाषाओं को लेकर काम कर रहा है।यूसीआईएल, नारवा पहाड के डीजीएम और एचओडी मनोरंजन महाली ने कहा कि पूरी दुनिया में आदिवासियों की बहुत ही समृद्ध परंपरा और विरासत रही है। उन्हें आज के जमाने के लिए जरूरी भाषा और शिक्षा का ज्ञान हासिल कर अपना अधिकार है।एल. बी. एस. एम. कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा कि पेड़ वही आसमान को छूता है, जिसकी जड़ें जमीन की गहराई में होती हैं। आज का दिन आत्मविश्लेषण का दिन भी होना चाहिए। हमें मौजूदा विकास की उपलब्धियों की आदत लग गयी है। हम पीछे नहीं जा सकते। हमें आदिवासियों के ज्ञान का उपयोग आज की जरूरतों और संकटों के समाधान के लिए करना चाहिए। बेशक उनके संवैधानिक अधिकारों को हासिल करना भी बहुत जारी है।
संचालन प्रो. संजीव मुर्मू ने किया। उन्होंने आदिवासियों के रोजगार और कला- आदिवासी संस्कृति की पढ़ाई की आवश्यकता पर जोर दिया। धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोः डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने किया। सहसंचालन बाबूराम सोरेन ने किया।आयोजन में हो, संताली और भूमिज समुदाय के नृत्यों की प्रस्तुति की गयी। एन. सी. सी. और इंटर के विद्यार्थियों ने भी आदिवासी नृत्य किये। एक प्रस्तुति में आदिवासी कृषक समाज में काम आने वाले उपकरणों को दिखाया गया। हो नृत्य के संबंध में संजीव मुर्मू ने कहा कि आदिवासी नृत्यों में स्त्री-पुरुष का भेद नहीं होता। दोनों साथ-साथ गाते-नाचते हैं।इस मौके पर भाषण, चित्रकला, निबंध, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में पुरस्कृत विद्यार्थियों और विभिन्न विभागों के डिस्टिंकशन अंक लाने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। आयोजन में टाटा स्टील फाउंडेशन के अधिकारी वीरेन तियु और रितेश टुडु, सौरव कुमार वर्मा, प्रो. अरविंद पंडित, प्रो. मोहन साहू, सुमित्रा सिंकु, लुसी रानी मिश्रा, चंदन जायसवाल, शिप्रा बोयपाई, प्रीति कुमारी, डॉ. सुधीर कुमार आदि भी मौजूद थे।