झारखंड के तेज तर्रार मधुर भाषी कड़क और मिलनसार कर्तव्य निष्ठ आईएएस अमरेंद्र प्रताप सिंह हुए सेवानिवृत।

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रांची  :  भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1991 बैच के तेज तर्रार जाने-माने मधुर भाषी मिलनसार आईएएस अधिकारी अमरेन्द्र प्रताप सिंह सेवानिवृत हो गयें। उनके अन्तिम कार्यदिवस के दिन विभाग एवं अन्य पदाधिकारीयो कर्मचारियों का मिलने का तता लग रहा । मिलकर उनके कार्यकाल को बेहतर उत्कृष्ट और यादगार भरा उपलब्धि बताया। श्री सिंह झारखण्ड के उन आईएएस अधिकारियों में जाने पहचाने जाते हैं। जिनकी सशक्त पहचान उनकी बेहतर कार्यप्रणाली तथा दायित्व का पूर्ण रूप से निर्वहन तथा हमेशा विकास कार्यों को सर्वाच्च प्राथमिकता देना तथा विभाग को निरंतर उपलब्धि और विभाग की सशक्त पहचान दिलाना ही मुख्य लक्ष्य रहा।

ऐसे आईएएस अधिकारी राज्य के लिए तथा विभाग के लिए गौरव माने जाते हैं।श्री सिंह जहां भी पदस्थापित रहें अपने बेहतर कार्यप्रणाली को हमेशा बेहतर साबित किया। जब पश्चिम सिंहभूम चाईबासा में वे उपायुक्त थे। तब अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र गुदड़ी मुसलाधार बारिस के बीच फिसलन भरे सड़क पर चलकर लोगों की जनससमस्या जानने के लिए जब पहुंचे तब एक ग्रामीण ने सादगी भरे लहजे में उनसे कहा कि प्रखण्ड के एक कनीय अभियता उनसे इन्दिरा आवास के लिए चढ़ावा की मांग कर रहा है। मेरे पास रकम नहीं है कृपया कनीय अभियन्ता को कह दें कि मेरा आवास बनवा दे। उपायुक्त श्री सिंह तत्क्षण ऐसे अभियन्ता की कलास और खोज खबर लेते हुए सोनुवां थाना को तत्काल एफआईआर दर्ज कर कनीय अभियन्ता के विरूद्ध करवाई करने को कहा। ऐसे उपायुक्त को भला कैसे लोग भूल सकते हैं। वहीं श्री सिंह उपायुक्त के रूप में जहां भी पदस्थापित रहें अपने बेहतर कार्यप्रणाली से जिला को बेहतर विकास के गति दिया। श्री सिंह उपायुक्त के रूप में गढ़वा, गिरीडीह, हजारीबाग, पश्चिम सिंहभूम और बोकारो में पदस्थापित रहें। इसके अलावे वे संथाल परगना दुमका के आयुक्त भी रहें। श्री सिंह के नाम कई कीर्तिमान दर्ज है। जिनमें मुख्य रूप से सर्वाधिक विभाग के सचिव तथा प्रधान सचिव रहने का कृतिमान भी मुख्य रूप से शामिल है। वित, सूचना और प्रौद्योगिक, मानव संसाधन, कैबिनेट ,उद्योग ,परिवहन ,पेयजल स्वच्छता ,एवं भवन निर्माण, वन विभाग ,कृषि ,पशुपालन एवं मत्स्य विभाग ,आपदा प्रबंधन एवं सदस्य राजस्व परिषद शामिल है। वित्त सचिव रहते जीटीएफ के आसन एवं सरल तथा सुगमता से निकासी प्रथा इन्हीं की देन मानी जाती है। सरकारी कर्मियों को आवास निर्माण हेतु 30 लख रुपए तक की राशि गृह निर्माण हेतु स्वीकृति इन्हीं की देन है। जिसका लाभ सहज और सुगमता के साथ सरकारी सेवा के लोग सहज रूप से अब तक लेते आ रहे हैं। सरकारी सेवा में योगदान देने के साथ ही सेवा निवृत्ति की तिथि भी निश्चित हो जाती है, और यह प्रक्रिया सबों के साथ है। किंतु श्री सिंह जैसे अधिकारी हमेशा लोगों के हृदय में बसते हैं। जिन्होंने अपने दायित्व और कर्तव्य का निर्वहन पूर्ण रूप से किया और अपनी उपलब्धि और सार्थकता से देश राज्य जिला को गौरवनित किया। ऐसे अधिकारी सदैव अनुकरणीय रहते हैं।

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