उत्तर प्रदेश : 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी जसबीर सिंह को उत्तर प्रदेश सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। जसबीर सिंह पिछले पाँच वर्षों से निलंबित थे। उनके खिलाफ अनुशासनहीनता, राज्य सरकार की एनकाउंटर नीति और स्थानांतरण से जुड़े मामलों पर मीडिया में बयान देने का आरोप था। उन्होंने बतौर महाराजगंज के पुलिस कप्तान रहते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) लगाने की भी संस्तुति की थी, जिसके कारण वे प्रशासनिक दबाव में आए।जसबीर सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस में एक ईमानदार और स्पष्टवादी अधिकारी के रूप में जाना जाता है। उनके निलंबन के बाद भी, वे कई बार राज्य सरकार की नीतियों और फैसलों के खिलाफ अपनी राय सार्वजनिक रूप से व्यक्त करते रहे हैं। सरकार द्वारा उनके खिलाफ की गई इस कार्रवाई को उनके आलोचकों का मानना है कि यह उनके द्वारा उठाए गए साहसिक कदमों का परिणाम है, जबकि सरकार का दावा है कि यह एक अनुशासनात्मक कार्रवाई है।
जसबीर सिंह ने अपनी अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ राष्ट्रपति के पास अपील दायर की है, जिसमें उन्होंने अपनी सेवा की बहाली की मांग की है। उनका कहना है कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और यह कार्रवाई उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। जसबीर सिंह की अपील को लेकर अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राष्ट्रपति का कार्यालय इस पर क्या निर्णय लेता है और क्या यह मामला भारतीय पुलिस सेवा में सरकारी हस्तक्षेप और स्वतंत्रता पर बहस का विषय बन सकता है।