पटना : बिहार में लोकल स्टॉक खत्म होने और महाराष्ट्र व नासिक में नई फसल की आवक में देरी की वजह से वहां की मंडियो में प्याज की कीमतें करीब 30 से 50% तक बढ़ गई है। कम बारिश की वजह से पिछले सीजन में प्याज की पैदावार कम हुई थी साथ ही बे मौसम बरसात के कारण बुवाई में भी देरी हुई है।इसलिए दिसंबर तक प्याज की नई फसल आएगी। इससे पहले कमोबेश इस तरह प्याज की कीमतें लोगों को रुलाएगी। पता चला है कि यहां सरकार थोक बाजारों में प्याज बेच रही है।लेकिन जमाखोरों पर कार्रवाई नहीं होने की वजह से सरकार द्वारा निर्धारित दर ₹25 किलो प्याज लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। सबसे ज्यादा प्याज की पैदावार महाराष्ट्र में होती है इसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है। इस बार बारिश की कमी से पैदावार में कमी आने से भी प्याज की कीमतों में इजाफा हो रहा है। जब तक नया प्याज नहीं आ जाता तब तक पुराने प्यार की कीमतें बढ़ती रहेगी। विस्कोमान के चेयरमैन सुनील कुमार सिंह ने बताया कि प्याज की कोई कमी नहीं है।फिलहाल बिस्कोमान बिल्डिंग के नीचे काउंटर लगाकर ₹25 किलो प्याज और ₹60 किलो चने की दाल बेची जा रही है। 18 अक्टूबर तक ₹30 किलो था प्याज का कीमत अब ₹70 ₹100 तक जा सकता है ।पटना के थोक व्यापारियों की माने तो महंगाई की वजह कुछ बड़े व्यवसाईयो की मोनोपोली है, मुख्य कारण है जमाखोरी लोग माल रोक कृत्रिम अभाव दिखाकर माहौल बना रहे हैं।आने वाले दिनों में कीमत और बढ़ सकती है