रांची : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने झारखंड सरकार पर गंगा प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित कार्यवाही में सहयोग न करने के कारण 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने गंगा और उसकी सहायक नदियों से प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से एक विशेष पीठ का गठन किया है, जो उन राज्यों और जिलों में कार्य करेगी जहां से गंगा और उसकी सहायक नदियां बहती हैं। पिछले साल नवंबर में एनजीटी ने गंगा प्रदूषण से संबंधित जानकारी मांगी थी, जिसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्य सचिवों को भी शामिल किया गया था। इनसे प्रदूषण के मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का अनुरोध किया गया था। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली पीठ ने 6 सितंबर को सुनाए गए अपने आदेश में कहा कि झारखंड सरकार के वकील ने डिजिटल माध्यम से उपस्थित होकर बताया कि उनके पास इस मुद्दे से संबंधित कोई फाइल नहीं है और वे अधिकरण की सहायता करने में असमर्थ हैं।
इसके साथ ही, झारखंड से कोई सक्षम अधिकारी भी उपस्थिति नहीं था, जो मामले में सहायता कर सके। इस कारण से पीठ को मामला स्थगित करना पड़ा। पीठ ने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए झारखंड राज्य पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। इस पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। इस आदेश के तहत, झारखंड सरकार को गंगा प्रदूषण की रोकथाम के प्रति जिम्मेदारी निभाने और आवश्यक सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया गया है ताकि इस पर्यावरणीय संकट का समाधान जल्द हो सके।