रांची: चौकिय नहीं जनाब झारखंड की राजनीतिक पानी की बुलबुल की तरह हो गई है । झारखंड की राजनीति में बहुत कुछ अभी बदलना बाकी है। आप देखते जाइए जैसे-जैसे झारखंड की विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे, वैसे-वैसे राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने पाला बदलने की लिए बेकरार होते नजर आएंगे। टिकट नहीं मिलने की स्थिति में, हर नेता एक दूसरे पार्टी में अपने टिकट तलाशते और पाला बदलते नजर आएंगे।
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएगी, सरगर्मी भी धीरे-धीरे जोर पकड़ती जाएगी। राज्य में दलबदल के सिलसिला भी शुरू हो चुका है। लोकसभा चुनाव के समय में भाजपा ने कांग्रेस की सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा को अपने पाले में किया, तो कांग्रेस ने भी भाजपा विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को अपनी पार्टी में शामिल कराकर चौंका दिया था। झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को भाजपा ने दिल्ली केंद्रीय कार्यालय में शामिल कराया। विधानसभा नजदीक आते ही झारखंड के सबसे आदिवासी दिग्गज टाइगर कहे जाने वाले नेता चंपाई सोरेन ने झामुम के सभी पदों से इस्तीफा देते हुए भाजपा के दामन थाम एक कर एक झारखंड में नए राजनीतिक समीकरण के रूप देकर सभी को चौंका दिया है। कहां जा रहा है कि यह एक शुरुआती श्रृंखला का एक रूप है जो झारखंड में कई दल बदल इस तरह के नजर आएंगे विधानसभा चुनाव से पहले।
राजनीतिज्ञो की मानें,तो लोकसभा चुनाव के समय से ही दल और दिल बदलने की यह प्रक्रिया चल रही है, जो थमने के नाम नहीं ले रही है,और यहीं थमने वाली भी नही है। इस श्रृंखला में और कई चर्चित नाम जुड़ने वाले हैं। चर्चाओं के अनुसार कुछ बीजेपी से झामुम में आएगे , झामुमो से बीजेपी में आएंगे। इसी तरह से कई पार्टियों के नेता अपनी दल और रंग बदलेंगे। चुनाव से पहले संभवत: सभी पार्टियों में एक बार खलबली और भगदड़ पाला बदलने को लेकर मचेगी। कई रुठेंगे ,कई मानेंगे, कई भीतर घात करेंगे ,जिससे चुनाव की राजनीतिक समीकरण की दिशा और दशा दोनों के साथ नतीजे भी बदल सकते हैं।