नई दिल्ली / प्रतीक सिंह : सोशल मीडिया का प्रभाव बच्चों पर तेजी से बढ़ रहा है। जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसे देखते हुए, ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल तक के बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने का निर्णय लिया है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य बच्चों को हानिकारक सामग्री और साइबर खतरों से बचाना है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने टेक कंपनियों को बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियां अब तक इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने में असफल रही हैं। सरकार चाहती है कि कंपनियां ऐसे एल्गोरिद्म विकसित करें जो बच्चों की उम्र के अनुसार ही उन्हें कंटेंट दिखाएं। इसके साथ ही, नकारात्मक और हिंसक सामग्री पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में भी ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य पेरेंट्स की चिंताओं को कम करना और बच्चों के मानसिक विकास को सुरक्षित बनाना है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ पेरेंट्स की जिम्मेदारी नहीं हो सकती, बल्कि टेक कंपनियों और सरकार की साझा जिम्मेदारी है।
क्या यह भारत में संभव है?
भारत में यह कदम लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यहां सोशल मीडिया यूजर्स की संख्या बहुत अधिक है और इसे नियंत्रित करना आसान नहीं है। इसके लिए सरकार को सख्त कानून बनाने और टेक कंपनियों पर दबाव डालने की आवश्यकता होगी। पेरेंट्स और स्कूलों को भी बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों के प्रति जागरूक करना होगा। ऑस्ट्रेलिया का यह कदम भारत समेत अन्य देशों के लिए एक उदाहरण बन सकता है, जो बच्चों की सुरक्षा और उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।