सरायकेला : सरायकेला थानागर्त कोलाबिरा सरकारी लाइसेंसी शराब दुकान में स्कॉर्पियो से नकली शराब लेकर पहुंचे एजेंसी के अधिकारियों ने नकली शराब को जबरन दुकान में घुसा कर दुकान के कर्मियों के साथ मारपीट करने लगे। सरायकेला खरसावां जिले के उत्पाद विभाग इन दोनों काफी चर्चाओं में रह रहा है। क्षेत्र में अवैध कारोबार तेजी से बढ़ रहे हैं। अवैध कारोबार पर अंकुश लगा पाना अधिकारियों की बस से बाहर होते जा रहा है ।पदाधिकारी भी लोगों के संदेह के घेरे में होते जा रहे हैं। कोलाबिरा मामले प्रकरण में मारपीट करने वालों में कौशल चौधरी,बादल यादव, और सौरभ गुलाटी के साथ अन्य चार -पांच लोग शामिल थे।सूचना मिलते ही ग्रामीण जुट गए और उन्हें पकड़ने की कोशिश की तब तक सब भाग गए।इतने में दुकान का मैनेजर अमन को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया।मैनेजर ने बताया कि वह वहां रजिस्टर के आधार पर स्टॉक मिलान करने पहुंचा है। ग्रामीणों ने मारपीट करने वालों के संबंध में उससे पूछताछ की तो उसने अभिज्ञता जाहिर की हालाकि स्टॉक के आधार पर रजिस्टर में एंट्री सही पाया गया। वहीं दुकान के कर्मियों ने बताया कि आए दिन एजेंसी वाले जबरन दुकान में अपने साथ खाली बोतल या आधी भरी शराब की बोतल लेकर पहुंचते हैं। और उन्हें डरा धमका कर उनसे कमीशन के रूप में पैसे मांगते हैं।नहीं देने पर उनके साथ मारपीट की जाती है। ऐसा जिले के सभी दुकानों के कर्मचारियों के साथ होता है।मामले की सूचना मिलते ही उत्पात विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की जांच में जुट गए हैं। बताया जाता है कि सरकारी शराब के दुकानों में मैनपावर की सप्लाई करने वाले एजेंसी के अधिकारियों द्वारा कर्मियों से जबरन सेल का तीन पर्सेंट कमीशन लिया जाता है। नहीं देने पर उन्हें काम से हटा दिया जाता है या झूठे मुकदमे में फसाने की धमकी दी जाती है। यही वजह है कि शराब दुकानों में काम करने वाले कर्मी मजबूरन ग्राहकों से तय दर से अधिक कीमत वसूलते हैं।
ग्रामीण उत्पात विभाग के अधिकारी और मैनेजर को बंधक बनाए रखे हैं ग्रामीणों ने कहा कि जिले के वरीय पुलिस पदाधिकारी जब तक घटनास्थल पर नहीं आते हैं तब तक उन्हें नहीं छोड़ेंगे इधर उत्पात अधीक्षक विमला लकड़ा ने कहा कि,सब इंस्पेक्टर को जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जिले के अवैध कारोबारी का हौसला बुलंद होते जा रहा है। देखना यह है कि विभाग अवैध कारोबारी पर अंकुश लगा पता है, या यूं ही अवैध कारोबारी की बल्ले बल्ले होती रहेगी। विभाग के पदाधिकारी कर्मचारियों और पदाधिकारी की कमी की रोना रोकर अपनी पाल झाड़ ले रहे हैं। वहीं उत्पाद सचिव झारखंड से संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु समाचार लिखे जाने तक संपर्क नहीं हो पाया हैl