नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जेल में एक तिहाई सजा काट चुके विचाराधीन कैदी जमानत के हकदार होंगे। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 479 के तहत यह प्रावधान लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और संदीप मेहता की बेंच ने इस निर्णय को स्वीकार करते हुए देश भर के जेल अधीक्षकों को निर्देश दिया कि वे धारा 479 के तहत हिरासत की अवधि का एक तिहाई समय पूरा कर चुके कैदियों के जमानत आवेदनों पर कार्रवाई करें और इन मामलों को तीन महीने के भीतर निपटाएं। इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि बीएनएसएस की धारा 479 ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 436 ए का स्थान ले लिया है। यह प्रावधान सभी विचाराधीन कैदियों पर लागू होगा, चाहे उनका अपराध 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज किया गया हो।
बीएनएसएस की धारा 479 के अनुसार, विचाराधीन कैदियों को अपने अपराध के लिए तय सजा की अधिकतम अवधि के डेढ़ गुना समय तक जेल में बिताने के बाद जमानत पर रिहा किया जा सकता है। पिछली सुनवाई में, सीनियर एडवोकेट और एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल ने धारा 479 को जल्द से जल्द लागू करने पर जोर दिया था, जिससे विचाराधीन कैदियों को राहत मिल सके।