गिरिडीह : प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के स्पेशल एरिया कमिटी की सदस्य और इनामी महिला नक्सली जया उर्फ़ चिंता उर्फ़ मनोरमा की मौत के बाद, माओवादी संगठन ने झारखंड और बिहार में 15 अक्टूबर को एक दिवसीय बंद का आह्वान किया है। जया की मृत्यु को संगठन ने एक बड़ा आघात बताया है, जिसे उन्होंने संगठन के लिए एक “अपरिवर्तनीय क्षति” के रूप में वर्णित किया है। माओवादी संगठन के प्रवक्ता, आजाद, ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए इस बंद को सफल बनाने की अपील की है। इसके साथ ही, उन्होंने 14 अक्टूबर को गांव-गांव में श्रद्धांजलि सभाओं के आयोजन की भी घोषणा की है, जिसमें जया को याद किया जाएगा। जया नारी मुक्ति आंदोलन की एक प्रमुख नेता भी रही थीं। वह महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए नक्सली आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेती थीं। उनके नेतृत्व में नक्सली अभियानों में महिलाओं की भागीदारी और भी बढ़ी, जिससे संगठन में उनकी एक प्रमुख भूमिका स्थापित हुई। पिछले कुछ महीनों से जया गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं। उन्हें कैंसर के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनका इलाज धनबाद के एक निजी अस्पताल में चल रहा था। हालांकि, इसी बीच पुलिस को गुप्त सूचना मिली, जिसके आधार पर धनबाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर गिरिडीह पुलिस को सौंप दिया। जेल में उनकी तबीयत और बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती किया गया। इलाज के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई। जया की गिरफ्तारी और उनके निधन के बाद से माओवादी संगठन के भीतर शोक और आक्रोश दोनों हैं। उनकी मृत्यु को संगठन ने “कुचक्र और सरकारी अत्याचार” के परिणामस्वरूप बताया। जया की मृत्यु के बाद माओवादी संगठन ने 15 अक्टूबर को झारखंड और बिहार में एक दिवसीय बंद का ऐलान किया है। इस बंद का उद्देश्य जया को श्रद्धांजलि अर्पित करना और उनके संघर्ष को याद करना है।
बंद के दौरान माओवादी संगठन ने दूध वैन और प्रेस की गाड़ियों को छूट देने की घोषणा की है, लेकिन अन्य परिवहन और आर्थिक गतिविधियों पर बंद का असर पड़ने की संभावना है। माओवादी आंदोलन में सक्रिय सदस्यों के लिए इस बंद का एक प्रतीकात्मक महत्व भी है, जिसमें वे अपने साथियों को खोने के बाद एकजुटता और प्रतिरोध का प्रदर्शन करेंगे। जया की मृत्यु माओवादी संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, क्योंकि वे संगठन की एक प्रमुख महिला नेता थीं। उनके निधन के बाद माओवादी संगठन के भीतर नेतृत्व और रणनीतिक दिशा में कुछ बदलाव हो सकते हैं।