नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। हाल के वर्षों में भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, जिससे चीन की चिंता बढ़ गई है। चीन, जो कभी मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी था, अब उसकी रफ्तार धीमी हो गई है, और बड़ी टेक कंपनियां चीन से दूर हो रही हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण ऐपल है, जिसने भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों का विस्तार किया है। इससे चीन को यह डर है कि भारत उसकी टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है। चीन की इस चिंता को जुलाई 2023 में हुई एक मीटिंग में देखा गया, जहां चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अपने लोकल इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माताओं को भारत में निवेश करने से मना किया। इसका कारण यह है कि चीन देख रहा है कि प्राइवेट कंपनियों का निवेश भारत में बढ़ रहा है और चीन में घट रहा है। स्मार्टफोन सेक्टर में चीन को बड़ा झटका लगा है, और वह भारत की बढ़ती शक्ति से सतर्क हो गया है।
भारत अब स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का एक प्रमुख हब बन चुका है। न केवल स्मार्टफोन, बल्कि उनके पार्ट्स का भी प्रोडक्शन भारत में हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकंडक्टर को घरेलू स्तर पर बनाने का लक्ष्य रखा है, जो चीन के लिए चिंता का विषय है। भारत अब स्मार्टफोन एक्सपोर्ट भी कर रहा है, और ऐपल और गूगल जैसी कंपनियों ने भारत में अपने प्रीमियम स्मार्टफोन का निर्माण शुरू कर दिया है। इन प्रगति के साथ, भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है, जिससे चीन के लिए चुनौती बढ़ गई है।