रोटी बैंक के अध्यक्ष ने शहीदों की मनाई जयंती लिया संकल्प।

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जमशेदपुर: इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है।” यह विचार शहीदे आज़म भगत सिंह के थे | फांसी लगने के कुछ दिन पहले उनके यह उदगार आज के नेताओं को बड़ा सबक देती है, उक्त बातें रोटी बैंक के चेयरमेन मनोज मिश्रा ने भुइयाडीह मे शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर कहीं | उन्होंने कहा कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को पूरा देश याद करते हुए उन्हें आज कोटि कोटि नमन कर रहा है |पर उन सभी के शहादत और उनके उद्देश्यों को आज के नेता तार तार कर रहें है | शहीद भगत सिंह और उनके साथियो के उद्देश्य केवल अंग्रेजों को भगाना नहीं था,अपितु सब तरह के शोषण को दूर करना था। फांसी पर लटकाये जाने से 3 दिन पहले 20 मार्च, 1931 को सरदार भगत सिंह और उनके साथियों सुखदेव और राजगुरू ने पंजाब के गर्वनर को संबोधित एक पत्र में लिखा,‘‘हम यह कहना चाहते है कि युद्ध छिड़ा हुआ है,और यह तब तक चलता रहेगा।तब तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों ने भारतीय जनता और श्रमिको के आय के साधनों पर अपना एकाधिकार कर रखा है। चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पूंजीपति और अंग्रेज या सर्वथा भारतीय ही हों, उन्होंने आपस में मिलकर लूट जारी कर रखी है। चाहे शुद्ध भारतीय पूंजीपतियों के द्वारा ही निर्धनों का खून चूसा जा रहा हो तो भी इस स्थिति में कोई अन्तर नहीं पड़ता।” मनोज मिश्रा ने कहा आज के नेता शहीद भगत सिंह के नाम पर राजनीति कर रहें है।वास्तव मे वे ही भगत सिंह के उद्देश्यों के खिलाफत करते दिखाई दे रहें है |

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उन्होंने अपने साथियो से अपील करते हुए कहा कि भगत सिंह और सभी शहीदों के उद्देश्यों और उनके विचारों पर चलकर ही सही मायने मे राष्ट्र का निर्माण हो सकता है | आज के कार्यक्रम मे मनोज मिश्रा के साथ सालावत महतो, रेणु सिंह, अनीमा दास,सुभश्री दत्ता, डी एन शर्मा, ऋषि गुप्ता, हरदीप सिद्धू, गुरूमुख सिंह, शंकर दत्ता, देवशीष दास,रीना दास, सोमवारी, प्रीति कुमारी, अंजू देवी सहित काफ़ी संख्या मे सदस्यो ने भाग लिया |

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