रांची : झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने पुलिस अवर निरीक्षक (SI) से पुलिस निरीक्षक (Inspector) के पद पर पदोन्नति में आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी के तर्कों को सुनने के बाद 20 सितंबर 2024 को झारखंड पुलिस महानिदेशक (DGP) द्वारा जारी आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
इस मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद निर्धारित की गई है। प्रार्थी विकास कुमार की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने अदालत को बताया कि पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देना उचित नहीं है। उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा दिए गए एक पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जब तक राज्य सरकार कोई नियम या दिशा-निर्देश जारी नहीं करती, तब तक 31 मार्च 2003 का संकल्प प्रभावी नहीं माना जा सकता।
अधिवक्ता ने यह भी कहा कि अवर निरीक्षक संवर्ग में आने वाले अधिकारी पहले से ही क्रीमी लेयर में आते हैं, इसलिए उनके लिए आरक्षण का लाभ अनुचित है। इसके अलावा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का पुलिस निरीक्षक पदों पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, इसलिए आरक्षण की आवश्यकता नहीं है। याचिका में प्रार्थी ने डीजीपी के 20 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान किया गया था। अदालत ने प्रतिवादियों को इस पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए फिलहाल आदेश पर रोक लगा दी है।