Ranchi-( शिवपूजन सिंह ):-विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े झारखण्ड में सियासी हलचले आहिस्ते -आहिस्ते ही सही पर परवान चढ़ रही है. बस चुनाव की रणभेरी बजने का इंतजार है, इसके बाद जलसे -जुलूस और वोट की गुहार लगाते सभी दल नजर आयेंगे.मौज़ूदा समय में हेमंत सोरेन की अगुवाई में इंडिया गठबंधन की सरकार चल रही है, पिछले पांच साल के कामकाज और कार्यकाल को लेकर विपक्ष यानि भाजपा झारखण्ड सरकार पर तोहमते लगाकर घेर रही है. हालांकि, इसका जवाब भी हेमंत सोरेन जेल से निकलने के बाद लगातार दे रहे है. कथित जमीन घोटाले के आरोप में पांच महीने सलाखों में बिताने और फिर कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद हेमंत इसे भाजपा की साजिश करार दे रहें हैं. इसके साथ ही चुनाव से पहले झारखण्ड मुख्यमंत्री मईया सम्मान योजना के जरिए एक बड़ा दाव और उपहार झारखण्ड की 21 से 50 साल की महिलाओं को दिया है. इसके एवज में साल के 12 हजार रुपए मिलेंगे यानि 1000 हर महीने बैंक खाते में आएंगे.चुनाव की देहरी पर इस योजना के लॉन्च होने से तो साफ है कि महिला वोटर्स को अपने पक्ष में करने की जोरदार कवायद में हेमंत सरकार जुटी है. यक्ष प्रश्न ये है कि क्या मईया सम्मान योजना का पिटारा विधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स को इंडिया गठबंधन के पक्ष में कर पायेगा या फिर बेअसर साबित होगा. सबसे बड़ा सवाल खटकता ये है कि माईया सम्मान योजना अभी ही क्यों लाई गई और सरकार अगस्त महीने में ही इसकी पहली किश्त क्यों हड़बड़ी में देना चाहती है. लाजमी है कि इसके जरिए सरकार के प्रति एक पक्ष बने या कहे बयार बने और सत्ता में फिर वापसी की राह सुनिश्चित हो सके.पिछले साल इंडिया गठबंधन सरकार के दरमियान ही अबुआ आवास योजना की स्कीम आई. इसके तहत 2026 तक 8 लाख आशियाना बेघरों को देने की बात कही गई. इसकी पहली किश्त भी कई लाभुकों को मिले है और बजट में भी 4831.83 करोड़ रुपए का भी प्रावधान किया गया है.लेकिन, 2024 तक 2 लाख घर देने का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. इन योजनाओं से अलग हेमंत सोरन की ही सरकार की तरफ से सावित्रीबाई फूले किशोरी समृद्धि योजना, गुरूजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, झारखण्ड एकलव्य प्रशिक्षण योजना, मुख्यमंत्री सारथी योजना,मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना, मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन जैसी योजनाए भी चल रही है. सबसे बड़ी बात यही है कि क्या इन योजनाओं के सौगात से हेमंत फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो पाएंगे? , क्या हर महीने 21से 50 साल की महिलाओं 1 हजार रुपए महीने मिलने वाली मईया सम्मान योजना मास्टरस्ट्रोक साबित होगा?.अगर सोचा -समझा जाए तो बात यही निकलती है कि योजनाएं वोट बैंक की गारंटी या फिर जीत पक्की तो नहीं कर सकती, बल्कि एक सहायक के किरदार में हो सकती है।
अगर गौर फरमाए और हेमंत सोरेन सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल को देखें तो काफ़ी उथल -पुथल ही देखने को मिली. आला मुलाजिमों के हाथ भ्रष्टाचार से सने मिले, रुपयों की गड्डियों ने इनके चेहरे का नकाब नोच कर उतार दिया , मंत्री के जेल जाने और उनके सहयोगियों के घर नोटों के ढेर इनके गठजोड़ की पोल खोल कर रख दी . इस दौरान कानून -इंतजामत का बेकायदा होना भी सरकार पर इल्जाम लगाता रहा. संगठित अपराध जेल से ऑपरेट होते दिखाई पड़ी. धनबाद जेल में अपराधी की हत्या तक एक गहरी साजिश के तहत हो गई. जमीन-खनन और शराब घोटाले के चलते अफसर-दलाल करागार में अभी तक कैद में ही हैं. बालू -लोहे के खेल की खबरें अखबारों में सुर्खियां बनती रही. बांग्लादेशी घुसपैठियों और आदिवासियों की घटती जनसंख्या चिंता का सबब बनी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले के आरोप में खुद भी पांच महीने जेल में गुजारने पड़े. प्रश्न यही हैं कि क्या झारखण्ड का जनमानस पिछले पांच साल के कामकाज को यू ही भूल जाएगा? और इन सौगातों की बारिश को देखकर वोट करेगा? खैर दिसंबर के आखिरी तक जनता ही तय करेगी कि किसे कुर्सी सौपनी है. इसके साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि हेमंत सोरेन सरकार की आवाम को दी गई योजनाओं की ये सौगाते सत्ता की चाबी दिलवाती है या नहीं.