दिल्ली (प्रतीक सिंह) : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा की गई सिफारिश पर न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण को स्वीकृति दी है। वे अब दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्य करेंगे, जो उनके लिए पूर्व कार्यक्षेत्र है। यह निर्णय एक विवादास्पद घटना के बीच लिया गया, जिसमें उनके सरकारी निवास पर लगी आग के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी मिलने का समाचार आया था। इस मामले की जांच के लिए मुख्य न्यायाधीश ने 22 मार्च को तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया।
पैनल में न्यायमूर्ति शील नागू, न्यायमूर्ति जी एस संधावालिया और न्यायमूर्ति अनु शिवरामन को शामिल किया गया है। न्यायमूर्ति वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने हंसराज कॉलेज से बी.कॉम (ऑनर्स) और फिर रीवा विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। 1992 में उन्होंने वकील के रूप में पंजीकरण कराया और 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति प्राप्त की। 2016 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई। उन्होंने संवैधानिक, श्रम, औद्योगिक, कॉर्पोरेट और कराधान कानूनों में अभ्यास किया और उच्च न्यायालय में इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मामलों की पैरवी की।