रांची : रांची के विभिन्न घाटों पर हो रहे अवैध बालू खनन और इसके साथ जुड़ी हिंसा के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। एडवोकेट सरफराज ने इस मामले को लेकर याचिका दायर की है, जिसमें रात के समय घाटों से बालू निकालने और उग्रवादियों-अपराधियों के वर्चस्व के चलते हो रही हिंसा पर सवाल उठाया गया है। शनिवार को इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस ए.के. राय की बेंच द्वारा की गई। रांची के एसएसपी द्वारा दाखिल शपथ पत्र में कहा गया था कि बालू की अवैध ढुलाई के मामले में चार थानों के दारोगा को शोकॉज किया गया है। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट राजीव कुमार ने कहा कि पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से बालू का काला कारोबार चल रहा है और थानों में एफआईआर की बजाय केवल सनहा दर्ज किया जा रहा है।
कोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि एफआईआर की बजाय केवल सनहा क्यों दर्ज किया जा रहा है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन चल रहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने एसएसपी को नए सिरे से शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट का यह कदम पुलिस-प्रशासन की भूमिका की जांच और अवैध खनन पर अंकुश लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है।