सरायकेला / (संजीव मेहता) : जय प्रकाश उद्यान आदित्यपुर में जारी श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में बुधवार को श्री राम कथा सुनाते हुए। अयोध्या धाम से पधारे श्री सर्वेश्वरानंद जी ने कहा कि सनातन धर्म के सभी पुस्तकों का प्रारंभ प्रश्न से शुरू होता है। यानी संवाद की महिमा को महत्व दिया गया है। दूसरे किसी धर्म में ऐसा नहीं है, उन्होंने बताया कि रामकथा में भगवान शंकर जी अगस्त्य ऋषि के पास जाकर रामकथा सुने हैं। वहीं भागवत कथा में त्रिदंडी स्वामी के शिष्य स्वामी सुन्दरराज जी ने कहा कि मानव जीवन का उद्देश्य प्रभु की भक्ति करना है। धन कमाने के बाद परिवार के सुख के बाद भगवान् के शरण जाकर भक्ति करना है। संसार में कोई भी साथ नहीं देगी केवल भक्ति साथ देगी। एक बार मन लगा कर भगवान् को कह दो कि मैं आपका हूँ। दूसरा प्रश्न भगवान् का अवतार क्यों हुआ। धर्म पालन के लिए जीवन है,भगवान् अब कल्कि अवतार लेंगे।
भगवान् क्या करते हैं, धर्म के किसके शरण में कहा गया। धर्म कथा या मंदिर नहीं बचेगा बल्कि सभी लोग जाति से उपर उठकर एक होकर सत्य पर चलेंगे तो धर्म बचेगा, भारत बचेगा। हम देखने में विभिन्न है लेकिन असल में एक हैं। धर्म कहीं गया नहीं, धर्म को जानना धर्म को बचाना है। फिर स्वामी जी ने बताया कि दुर्योधन के भाई के साथ बेईमानी करने से महाभारत हुआ। महाभारत यह शिक्षा देती है कि जैसे द्रौपदी के साथ अत्याचार के विरुद्ध भीमसेन ने पापी को मार डाला।
इसलिए आप भी अपने बहन बेटी से अत्याचार के खिलाफ ताकत दिखाइए। भगवान् ने जो बल दिया है उसका उपयोग अन्याय को खत्म करने के लिए करिए। जीवन में ऐसा मत करना कि सिर झुकाना पड़े।