जमशेदपुर : छठ महापर्व, सूर्य की उपासना का विशेष पर्व, श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण चार दिवसीय अनुष्ठान है।जो इस वर्ष 5 नवंबर मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है। छठ पूजा की तैयारी पूरे जोरों पर है। भक्तजन घाटों की सफाई और सजावट में लगे हैं। कहीं जलाशयों के किनारे आस्था के घाट सजाए जा रहे हैं, तो कहीं घरों की छतों पर भी छठ पूजा का आयोजन हो रहा है। व्रतियों के घरों में बजने वाले पारंपरिक छठ गीत माहौल को और भी पवित्र और उत्साहपूर्ण बना रहे हैं, जिससे सभी श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और आस्था का संचार हो रहा है। 5 नवंबर को छठ महापर्व का आरंभ नहाय-खाय से होगा। इस दिन व्रती स्नान कर स्वच्छता का ध्यान रखते हुए सूर्य देव की उपासना की शुरुआत करेंगे। मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से पकाए गए अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का भोग सूर्य देव को अर्पित कर, वे खुद भी इसे ग्रहण करेंगे। इसके बाद इस प्रसाद को परिवार के सदस्य व अन्य लोग कद्दू भात का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 6 नवंबर, यानी दूसरे दिन को खरना है, जिसे लोहंडा भी कहते हैं। इस दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और संध्या समय में स्नान कर स्वच्छता के साथ खीर, रसिया और पूड़ी का भोग लगाते हैं। छठी मइया को भोग अर्पित करने के बाद ही व्रती स्वयं इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे और फिर इसे परिवार व पड़ोसियों में भी वितरित करेंगे। खरना के बाद से व्रती 36 घंटे के कठिन निर्जला उपवास का पालन करेंगे। 7 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का दिन होगा । इस दिन व्रती और सहयोगी मिलकर छठ गीत गाते हुए प्रसाद तैयार करते हैं और सूप-दउरा सजाते हैं। शाम को घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस अवसर पर श्रद्धालु सूर्य देव से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
अंतिम दिन, 8 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर यह महापर्व समाप्त होगा । व्रती अहले सुबह छठ घाट पर पहुंचकर सूर्य देव की उपासना करते हैं और उनकी पहली किरण का दर्शन होने पर अर्घ्य अर्पित करते हैं। कई श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं और जो मन्नत पूरी होने पर पान के पत्ते पर कपूर जलाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं। इस प्रकार पूजा संपन्न होती है और प्रसाद का वितरण होता है। छठ महापर्व न केवल प्रकृति और सूर्य देव की आराधना का पर्व है, बल्कि यह पारिवारिक और सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। इस पर्व में भक्ति, श्रद्धा और आस्था का अपार संगम देखने को मिलता है।