रांची : चुनावी महापर्व का बिगुल बज चुका है। यह महासमर का बिगुल है,और अब जनता की बारी है । धीरे-धीरे वादे इरादे ,आ रहे हैं ,आते रहे हैं,और आते रहेंगे । राजतंत्र में कहा जाता था जैसा राजा वैसी प्रजा। लेकिन प्रजातंत्र में यह कहना अपने आप को छलावा देना है। प्रजातंत्र में हमें कहना और मानना पड़ेगा की जैसी प्रजा वैसा राजा। चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है। दो चरणों का निर्धारण हो चुका है। पूरी तैयारी हो चुकी है। अब आई जनता की बारी है। भारतीय गणतंत्र विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र है । सौभाग्य से आज भारत अपनी विरासत प्राचीन ज्ञान और आधुनिक के यंत्र तंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। लेकिन बहुत दूर जाना है, कई नई समस्याएं है। सभी दल, दल बल के साथ जनता के सामने आ रही है ,और तेजी से आएंगे। जनता को इस चुनाव में यह चुनना है कि वह किस नाव पर सवार होगी ।अब बारी जनता की है। जनता को निर्णय लेना होगा, निर्णायक मुद्रा में आना होगा, सामान्यतया लोग बोलते हैं, की अंतरात्मा की आवाज को सुने और निर्णय ले अंतरात्मा की आवाज को सुनना आवश्यक है। अंतरात्मा की आवाज को सुनने के लिए हमें यानी जनता को आत्मा की अदालत में हाजिर करना होगा और खूबियों और खामियों को पवित्रता, ईमानदारी, निस्वार्थ ,और प्रेम से समझना होगा। जनता की बारी बार-बार नहीं आती ,और अब जनता की बारी की पारी आ गई है, तो सोच समझ कर मताधिकार का प्रयोग करना होगा।
मतदान , मताधिकार भी है। सोचेंगे तो पाएंगे कि यह कर्तव्य और अधिकार दोनों है। यह उच्च, उच्चतर ,उच्चतम ,विकास का एक प्रेरणा पूर्ण अवसर है। जो एक राष्ट्र सेवा है, और राष्ट्र को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, ऊंचाई पर ले जाने का जरिया हैअब जनता की बारी है, समग्र विकास की तैयारी है ।सोच समझ की बड़ी पारी खेलें, क्यों कि राष्ट्रहित जनहित ही आधार है। जिम्मेदार नागरिक की कर्तव्य ही विकास का रास्ता है। जनता की बारी है, सशक्त राष्ट्र की तैयारी है । पवित्र, ईमानदार ,निस्वार्थ, और प्रेम से युक्त होकर घृणा, भेदभाव ,से मुक्त होकर, अब जो आई बारी है उसकी तैयारी है, अब जनता की बारी है।