जमशेदपुर : जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में बुधवार को हिन्दी विभाग के द्वारा साहित्यकार प्रेमचंद की 144वीं जयंती मनाई गई. इस उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में हिन्दी विभाग के अलावा महाविद्यालय के अन्य विषयों के शिक्षक और विद्यार्थी भी शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सत्यप्रिय महालिक द्वारा प्रेमचंद के चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलित कर की गई. सभी का स्वागत हिन्दी की प्रो. सुदेष्णा बनर्जी ने किया. इस अवसर पर अपने संबोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सत्यप्रिय महालिक ने कहा कि प्रेमचंद की लेखनी में भारतीय ग्रामीण जीवन का अद्वितीय चित्रण मिलता है, जो उस समय की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को बखूबी दर्शाता है. उनकी कहानियों और उपन्यासों में जिस तरह से गांवों की समस्याएं और संघर्ष उभर कर आते हैं, वे आज भी प्रासंगिक हैं. हालांकि समय के साथ गांवों का स्वरूप और जीवनशैली बदल गए हैं. आज के गांवों में कई सुविधाएं उपलब्ध हैं. हिंदी के प्रो. हरेन्द्र पंडित ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज का ग्रामीण जीवन औद्योगिकीकरण की छाया में है, जहां किसान और मजदूर के बीच का अंतर धुंधला होता जा रहा है. खेती-बाड़ी की जगह उद्योगों ने ले ली है और गांवों में भी शहरों की तरह जीवनशैली विकसित हो रही है. आज का समाज भले ही आधुनिकता और विकास की ओर बढ़ रहा हो, लेकिन प्रेमचंद की रचनाओं में वर्णित गांव और उनकी समस्याएं आज भी समाज में कहीं न कहीं दिखाई देती हैं. प्रेमचंद का साहित्य अतीत, वर्तमान और भविष्य के समाज का आईना है, जो हमें अपने मूल्यों और समस्याओं को समझने और उनका समाधान ढूंढने की प्रेरणा देता है. प्रो. सुदेष्णा बनर्जी ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य उस समय के समाज का प्रतिबिंब है, लेकिन उनकी कहानियां और चरित्र आज भी प्रासंगिक हैं।
वे हमें अपने मूल्यों को समझने और सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूंढने की प्रेरणा देते हैं. उनके साहित्य में वर्णित समस्याएं आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं, हालांकि उनका स्वरूप बदल गया है. हिंदी की विभागाध्यक्ष प्रो. सुनिता गुड़िया ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य हमें अपने अतीत की याद दिलाने के साथ-साथ वर्तमान की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देता है. उनका साहित्य समय के साथ बदलते समाज का प्रतिबिंब है, जो हमें अपने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संजोने की प्रेरणा देता है. इस कार्यक्रम में डॉ. मोनिदीपा दास, डॉ. अर्चना गुप्ता, डॉ. मलिका हेजाब, डॉ. राफ़िया बेग़म व अन्य शिक्षकों के साथ दर्जनों विद्यार्थी शामिल हुए।