रोहतास (सासाराम बिहार)श्री श्री 1008 घरवासडीह मठ के उतराधिकारी स्वामी केशवाचार्य जी महाराज ने 28 अक्टूबर के शरद पूर्णिमा के अवसर पर चार शुभ योग्य होने की बातें कही है। इस शरद पूर्णिमा की बाकी तिथि की तुलना में विशेष महत्व हैं। इस दिन मां लक्ष्मी का प्राक्ट्य हुआ था। इस बार शरद पूर्णिमा पर चार शुभ योग बन रहे हैं। साथ ही साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लगने जा रहा है। केशवा आचार्य महाराज जी ने विस्तार से शरद पूर्णिमा का तारीख तिथि और मुहूर्त– के विषय में बताते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस तिथि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही इस दिन चंद्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और अमृत की वर्षा करते हैं। इस दिन चंद्र देव की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा पर कई शुभ योग बनने जा रहे हैं। महाराज जी ने कहा कि –इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार के दिन है। इस दिन गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, शश योग सौभाग्य योग और सिद्धि योग का शुभ संयोग भी रहने वाला है। साथ ही इस दिन साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लगने जा रहा है। भारत में भी यह चंद्रग्रहण दिखाई देगा। ऐसे में इसका सूतक काल मान्य होगा। बता दें कि चंद्रग्रहण लगने से पहले सूतक काल 9 घंटे पहले लग जाता है। महाराज जी ने बताया कि कब से कब तक देखा जा सकेगा चंद्रग्रहण (सूतक)भारतीय समय के अनुसार साल के इस आखिरी ग्रहण की शुरुआत शनिवार 28 अक्टूबर को मध्य रात्रि 01:05 मिनट से होगी जो मध्य रात्रि 02:24 मिनट पर खत्म हो जाएगा. शनिवार 28 अक्टूबर को सूतक काल दोपहर4:05 मिनट से शुरू हो जाएगा। अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में लगेगा चंद्र ग्रहण महाराज जी ने बताया कि यह चंद्र ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में हो रहा है। अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि में जन्मे व्यक्तियों के लिए विशेष अशुभ फलदाता और दुर्घटना का भय रहेगा. ग्रहण का समय ग्रहण प्रारम्भ :- मध्य रात्रि 01:05 ग्रहण मध्य :- मध्य रात्रि 01:44 ग्रहण समाप्त :- मध्य रात्रि 02:24 ग्रहण अवधि :- 01घण्टा 19 मिनट महाराज जी ने शरद पूर्णिमा पूजा विधि को बताया और कहा कि शरद पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण कर के,व्रत का संकल्प लें।इसके बाद चौकी पर पीला या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। भगवान सत्यनारायण की तस्वीर स्थापित करें और फिर पीले फूल, पीले वस्त्र, पीला फल, जनेऊ, सुपारी, हल्दी अर्पित करें।
ध्यान रखें की इस दिन भोग में भगवान को तुलसी डालकर ही अर्पित करें। साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी डालकर भोग अर्पित करें।
साथ ही इस दिन चंद्रमा से संबंधित मंत्रओं का जप करें और लक्ष्मी जी से संबंधित मंत्रों का जप करें।