झारखंड: झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक है, लेकिन चुनाव आयोग तारीखों की घोषणा को लेकर जल्दबाजी में नहीं दिख रहा है। इसकी प्रमुख वजह पिछले साल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में हुए चुनावों में आई आलोचनाएं हैं। उस समय त्योहारों और छुट्टियों के चलते वोटिंग की तारीखें प्रभावित हुई थीं, और कई स्थानों पर मतदान का प्रतिशत कम हो गया था। इस अनुभव से सबक लेते हुए, इस बार चुनाव आयोग त्योहारों के बाद ही चुनाव की तारीखें तय करने के मूड में है। फिलहाल देशभर में त्योहारी सीजन चल रहा है, और झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। इन परिस्थितियों में चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्दबाजी में करना वोटिंग में बाधा उत्पन्न कर सकता है। माना जा रहा है कि झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव की तारीखें छठ पूजा के बाद घोषित हो सकती हैं। झारखंड की वर्तमान सरकार का कार्यकाल दिसंबर 2024 तक है, इसलिए चुनाव आयोग के पास प्रक्रिया पूरी करने के लिए पर्याप्त समय है।
आचार संहिता लागू होने के बाद चुनाव प्रक्रिया 45 दिनों में संपन्न करनी होती है। यदि चुनाव दो या तीन चरणों में होते हैं तो समय पर समाप्त किए जा सकते हैं। हालांकि, राज्य के विपक्षी दलों ने एक ही चरण में चुनाव कराने की मांग की है, जबकि झारखंड के इतिहास में अधिकांश चुनाव पांच चरणों में आयोजित हुए हैं। 2005 में चुनाव तीन चरणों में हुए थे, जबकि 2009, 2014 और 2019 में पांच चरणों में मतदान हुआ था। चुनाव आयोग का उद्देश्य चुनाव को शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से सम्पन्न कराना है, और इसी के आधार पर चुनावी चरणों की संख्या तय की जाएगी।