जमशेदपुर : कहते हैं कि अगर कुछ पाने की कुछ दृढ़ संकल्प हो तो उसे मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसा ही कारनामा जमशेदपुर के मानगों की इकलौती बेटी ने कर दिखाया है। मानगो आजाद बस्ती ईदगाह मैदान के रहने वाले शौकत अली की इकलौती पुत्री अरसा यासमीन कि यह कहानी है वह बिस्टूपूर बेलडीह चर्च स्कूल की छात्रा है उसने बताया कि जब वह सातवीं कक्षा में पढ़ती थी तो स्कूल में वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता हो रही थी वहां टेबल में काफी सारे मेडल और शील्ड रखे हुए थे यह देखकर उसके मन में उसे पाने की इच्छा हुई फिर उसने भी खेल प्रतियोगिता में भाग ली लेकिन उसमें वह मेडल लेने में सफल नहीं हो पाई फिर क्या था उसने संकल्प ले लिया था की अब वह गोल्ड मेडल अपने नाम कर के ही रहेगी। इसके बाद स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के तहत सीआईएससीई यानी काउंसिल आफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन गेम्स एंड स्पोर्ट्स में भाग लिया और उसने 800 मीटर दौड़ में पहला ब्रोंज हासिल की उसके बाद गोल्ड मेडल जीतने की लालसा लेकर प्रतियोगिता में निरंतर भाग लेते रही और उसने 2022 कक्षा 10 में पढ़ते हुए फुटबॉल टीम की वाइस कैप्टन के तौर पर प्रतिनिधित्व की और उसने पूरे टीम के लिए गोल्ड मेडल जीता ।
यही अरसा के लिए टर्निंग पॉइंट थी और फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 2023 में फुटबॉल, हैंडबॉल,और दौड़ प्रतियोगिता में 400 200 और 100 मीटर के रिले रेस में कुल चार गोल मेडल अपने नाम की। वहीं 2024 में भी 1500 और 800 मीटर की दौड़ में उसने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया इसके साथ ही अब तक उसने 10 गोल्ड मेडल हासिल की है जो 3 साल के इतने कम समय में 10 गोल्ड मेडल जीत हासिल कर शहर वासियों के लिए नाम रोशन किया है । उसका कहना है कि उसका लक्ष्य ओलंपिक खेल में जाना है और उसका दृढ़ संकल्प है कि वहां से भी वे गोल्ड मेडल देश के नाम करके आएगी।
इधर उनके पिता शौकत अली ने कहा कि अरसा यासमीन उसकी इकलौती संतान है वह उसके हर ख्वाहिश को पूरा करना चाहते हैं लेकिन पढ़ाई से कोई समझौता नहीं , इसी शर्त के साथ उसके खेल भावना को हमेशा बढ़ावा दे रहे हैं वह चाहते हैं कि खेल के साथ शिक्षा जगत में भी वो अपना नाम रोशन करें अब तक जितना गोल्ड मेडल और अन्य पदक हासिल की है वह उसके परिवार समाज और शहर वासियों के लिए गर्व की बात है वह आगे भी अपनी बेटी के लिए हर संभव उसे उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिए तत्पर रहेंगे ।