सरायकेला : सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्रीमी संसोधन पर दिया गया जजमेंट को लेकर कुछ लोग निजी स्वार्थ बस भ्रामक प्रचार प्रसार कर भारत बंद का आयोजन किया जिसका युवा जनशक्ति मोर्चा पुरजोर विरोध करती हैं , ये लोग जनता को बरगलाकर देश के अशांत करने की कोशिश में लगी हैं क्योकि इन्हे न तो संविधान की ज्ञान हैं और न ही भारत की कानून पर ही विस्वास हैं और हमारे मीडिया बंधू को चाहिए की इनलोगों से इस ज्वलंत मुद्दे पर सवाल करे संविधान के बारे में प्रश्न करे साथ ही जो अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट लाया हैं उसपर उसे कितनी ज्ञान हैं इसके ऊपर सवाल करे ताकि जनता के बिच सही सन्देश जाये। क्रीमी लेयर पर कोर्ट ने क्या कहा अनुसूचित जनजाति में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के चार न्यायाधीशों ने अपनी राय दी. ‘क्रीमी लेयर’ से मतलब उस वर्ग से है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर चुका है. इस श्रेणी में आने वाले लोगों को आरक्छन का लाभ नहीं मिलता है।आप मीडिया के माध्यम से हम जनता को बताना चाहते हैं की दरअसल क्रीमी लेयर की सुरुवात वर्ष 1993में हुई थी उस वक्त कुल आमदनी 1 लाख तक सिमित थी और आज इसे वार्षिक आय 8 लाख किया गया इसमें scst हो या obc को क्या दिक्कत हैं क्या scst और obc के सम्पन लोगों को आखिर ये लाभ लेने का अधिकार क्यों मिले जबकि इसमें कोई कृषि या अन्य आय को शामिल नहीं किया गया हैं आप उच्य पद पर आसीन हो आप की आर्थिक स्थिति 8 लाख से ऊपर हैं तो आपको आरक्छन की जरुरत क्या हैं क्या जनरल बाले जो गरीबी रेखा के निचे हैं उसे जीने का अधिकार नहीं हैं ,कुल मिलाकार देखा जाये तो इनलोगों को किसी भी सूरत में अपनी मनमानी करनी हैं।
आज बंदी के कारन देश भर में करोड़ों का नुकशान हुआ डेली कमाने खाने बाले लोगों की आर्थिक छति हुई इसका जिमेवार कौन हैं, युवा जनशक्ति मोर्चा सरकार से ये मांग करती हैं की ऐसे लोगों की पहचान कर कठोर करवाई किया जाये ताकि भविष्य में देश में नफरत का माहौल बनने से रोका जा सके , आज बंगाल में डॉक्टर बेटियों का बलात्कार व हत्या कर दि जाती हैं इस मुद्दे पर अपनी मुँह में दही जमा रखा हैं लेकिन आरक्षण लेकर भ्रामक प्रचार करनी हैं ये काफी निंदनीय हैं। अभय झा – राष्टीय अध्यछ, युवा जनशक्ति मोर्चा