Saraikela (संजीव मेहता) : स्मार्ट मीटर लगाने का विरोध शुरू हो गया है. शनिवार को इसके में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री को झारखंड के राज्यपाल के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपा गया है. जिसे आदित्यपुर के कार्यपालक अभियंता (ईई) संजीत पासवान को सौंपा गया है. यह ज्ञापन कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय संगठनों ने सौंपा है. जिसमें कहा गया है कि विद्युत उपभोक्ता इससे खुश नहीं हैं ज्ञापन में बिजली को वर्तमान में आधुनिक सभ्यता की जीवन रेखा बताते हुए कहा गया है कि यह आधुनिक अर्थव्यवस्था के पीछे की प्रेरक शक्ति है और आर्थिक स्थिति से परे सभी के लिए एक आवश्यक उपयोगिता है.
लेकिन, यह बेहद चिंताजनक है कि सुधारों के नाम पर विभिन्न योजनाएं शुरू करते हुए, आपकी सरकार ने बिजली को एक आवश्यक सार्वजनिक उपयोगिता से एक सुपर लाभ-कमाने की वस्तु में तब्दील करने का निर्णय लिया है. जो केवल एकाधिकारी पूँजीपतियों के लाभ के लिए आम उपभोक्ताओं के हितों को खतरे में डाल रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, देश भर के उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के कड़े विरोध के बावजूद बिजली संशोधन विधेयक 2022 का मसौदा कई बार तैयार किया गया और अंततः संसद में पेश किया गया. अगर यह प्रतिगामी विधेयक कानून बन जाता है, तो यह राज्य के स्वामित्व वाली वितरण कंपनियों को कमजोर कर देगा और अंततः पूर्ण निजीकरण की ओर ले जाएगा. यह हमारी सुविचारित राय है कि एक समय सार्वजनिक धन की लागत से निर्मित बिजली क्षेत्र के पूरे बुनियादी ढांचे को निजी ऑपरेटरों के लिए मुनाफ़ा लूटने के अखाड़े में तब्दील नहीं करना चाहिए. यह बहुत चिंताजनक है कि उक्त प्रतिगामी विधेयक को लम्बित रखते हुए आपकी सरकार प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने के माध्यम से राज्य के स्वामित्व वाली डिस्कॉम कम्पनियों का निजीकरण करने के लिए आक्रामक तरीके से कदम उठा रही है और कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटर ख़रीदने के आदेश दिए गए हैं. सामर्थ्य, गोपनीयता और विश्वसनीयता से संबंधित मुद्दों को लेकर पहले से ही स्मार्ट मीटर लगाने का व्यापक विरोध हो रहा है. जबरन स्मार्ट मीटर लगाने के परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं. खासकर गरीब किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए, जबकि इसके कारण बड़े पैमाने पर नौकरियां खत्म हो सकती हैं, जिनमें मीटर रीडर, बिलिंग स्टाफ और अन्य बिजली कर्मचारी शामिल हैं. निजी मालिकों के मुनाफ़े को सुनिश्चित करने के लिए टाइम ऑफ डे टैरिफ (टीओडी) यानी टैरिफ की गतिशील मूल्य निर्धारण प्रणाली की शुरूआत, उपभोक्ताओं द्वारा दशकों से प्राप्त अधिकारों को जबरन छीन लेगी. इसलिए हम टीओडी टैरिफ की शुरूआत का कड़ा विरोध करते हैं. हमारी मांग है कि विद्युत संशोधन विधेयक-2022 निरस्त करें, बिजली क्षेत्र का निजीकरण रोकें, प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाना बंद करें.