मुंबई : रतन टाटा, भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक और टाटा संस के मानद चेयरमैन, अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने हाल ही में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु की खबर ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया है। रतन टाटा को उम्र संबंधी परेशानियों के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी स्थिति को गंभीर देखते हुए उन्हें ICU में रखा गया। टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने रतन टाटा के निधन की पुष्टि की। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में प्राप्त की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में डिग्री हासिल की। टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते रतन टाटा ने 1990 से 2012 तक टाटा समूह के चेयरमैन के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न केवल अपने व्यवसाय को विस्तारित किया, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर एक पहचान भी दिलाई। रतन टाटा की नेतृत्व शैली और दूरदर्शिता ने टाटा समूह को एक नई दिशा दी। उन्होंने एयर इंडिया को अपने साम्राज्य में शामिल किया और साथ ही विदेशी कार निर्माता फोर्ड के लग्जरी ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण किए और नए क्षेत्रों में कदम रखा। उन्होंने टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, और टाटा पावर जैसे व्यवसायों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।रतन टाटा का व्यवसायिक दृष्टिकोण केवल लाभ अर्जित करने तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझा और टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट्स ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की। रतन टाटा ने हमेशा मानवीय मूल्य और नैतिकता को प्राथमिकता दी, जो उनके व्यवसाय के संचालन में झलकती है।
रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण शामिल हैं। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व ने न केवल टाटा समूह को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया, बल्कि उन्होंने भारतीय उद्योग के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बने। उनकी असामयिक मृत्यु ने न केवल उद्योग जगत को बल्कि समाज के हर वर्ग को गहरा दुःख पहुंचाया है। रतन टाटा की विरासत उनके विचारों, उनके दृष्टिकोण, और उनके द्वारा स्थापित नैतिक मानदंडों के माध्यम से सदियों तक जीवित रहेगी। उनका जीवन और कार्य सभी के लिए एक उदाहरण रहेगा, जो हमें प्रेरित करेगा कि हम अपने कार्यों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। रतन टाटा का योगदान और उनकी यादें सदैव हमारे साथ रहेंगी।